लखनऊ 31 अगस्त : कोलकाता में महिला चिकित्सक की बलात्कार के बाद हत्या किए जाने की घटना के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। अब अस्पताल परिसर में बिना प्रवेश पत्र के तीमारदार भी रात्रि में नहीं ठहर सकेंगे।
प्रवेश पत्र नीति का सख्ती से पालन कराया जाएगा। किसी डाक्टर या चिकित्सा कर्मी के साथ हिंसा होने पर संस्थागत एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। यानी प्रभावित व्यक्ति की बजाए अस्पताल प्रशासन पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराएगा। अस्पताल के इंचार्ज व उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति ही मामला दर्ज कराएगा।
नई गाइडलाइन जारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब अस्पतालों में मेडिकल कालेजों में सुरक्षा के लिए सख्त करने को नई गाइडलाइन जारी की गई है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने निर्देश दिए हैं कि रात्रि में सुरक्षा कर्मी पूरी तरह सतर्क रहें और अस्पताल परिसर का लगातार निरीक्षण करें।
ऐसे बाहरी लोग जो परिसर में खाली जगह होने के कारण उसे रात्रि विश्राम के स्थल के रूप में प्रयोग करते हैं, उन्हें तत्काल बाहर किया जाए। शरारती तत्वों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। रोगियों के साथ आए तीमारदारों को वार्ड, आइसीयू, विश्राम स्थल, इमरजेंसी वार्ड व अंत: रोगी विभाग में प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र नीति लागू की जाए। जिससे भर्ती मरीज की निजता बनी रहे। बिना प्रवेश पत्र के तीमारदार को प्रवेश न दिया जाए। रात्रि के समय प्रवेश पत्र के बिना किसी भी कीमत पर तीमारदार आइसीयू या किसी वार्ड में प्रवेश नहीं पा सकेंगे।
रात्रि के समय महिला चिकित्सक, नर्सेज व अन्य महिला स्टाफ एक वार्ड से दूसरे वार्ड में रोगी के उपचार को जाएंगे तो उनके साथ अनिवार्य रूप से सुरक्षा कर्मी साथ होंगे। अस्पताल परिसर में प्रकाश की व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए। सुरक्षा कर्मी रात में सभी तीमारदारों का भी प्रवेश पत्र की जांच करेंगे।
चिकित्सालय परिसर में कंट्रोल रूम बनाकर सुरक्षा के लिए निगरानी की जाएगी। 24 घंटे यह कंट्रोल रूम सक्रिय रहेगा। अस्पतालों की सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। भूतपूर्व सैनिकों की प्राथमिकता पर तैनाती होगी। स्थानीय पुलिस थाने से समन्वय कर सुरक्षा को पुख्ता किया जाएगा।
चिकित्सालय परिसर में सीसीटीवी कैमरे पर्याप्त संख्या में लगाए जाएंगे और इसकी मदद से निगरानी की जाएगी।वहीं आंतरिक यौन उत्पीड़न समिति का गठन किया जाएगा। समय-समय पर समिति शिकायतों के समाधान के लिए बैठक करेगी।
आउटसोर्सिंग व संविदा कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन
अस्पतालों में तैनात किए गए आउटसोर्सिंग, संविदा व ठेका कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन कराया जाएगा। यह कार्य प्राथमिकता के आधार पर कराया जाना होगा। बिना पुलिस सत्यापन कोई भी कर्मी कार्य पर नहीं रखा जाएगा।