लखनऊ – देश में अगले साल कई राज्यों में चुनाव होने हैं इसी क्रम में कुछ प्रमुख राज्य जिसमें गोवा, उत्तराखण्ड पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं।
गोवा में क्या बीजेपी की हालत
गोवा बीजेपी सरकार की बात करे तो पूर्व मुख्यमंत्री के बाद वहां बीजेपी के लिए कोई करिश्माई नेता नहीं हैं। परिकर की मृत्यु के बाद कोई भी स्थानीय नेता उस तरह से बीजेपी को फायदा नहीं पहुचा पाया है जिस तरह से बीजेपी को उम्मीद थी। इस क्रम में बीजेपी से नेताओ का बराबर पलायन जारी है और नेताओ की पसंद अब आम आदमी पार्टी एवं अन्य पार्टियां बन रही है। स्थानीय लोगों से बात करने पर पाया कि बीजेपी की सत्ता में वापसी मुश्किल है। क्योंकि राष्ट्रवाद से ज्यादा यहां स्थानीय मुद्दे प्रबल है। विकास, बेरोजगार, महंगाई और स्वास्थ यहां प्रमुख मुद्दा है जिसमें बीजेपी सरकार ने ज्यादा काम नहीं किया है।
उत्तराखंड मे बीजेपी के हालात
उत्तराखण्ड बीजेपी नेतृत्व के लिए सबसे बड़ा सिर दर्द बन कर उभरा है इसके लिए एक उदाहरण से बात स्पष्ट हो जाती है कि पिछले पांच सालों में कई बार मुख्यमंत्री बदलना। संगठन और स्थानीय स्तर पर गुटबाजी, विधायक और मंत्रियों मे गुटबाजी सबसे प्रमुख कारण है कि बीजेपी इससे उबर नहीं पायी है। इसके बाद पलायन, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुदुर पहाड़ी क्षेत्रों का विकास जैसे मुद्दों पर उतना काम नहीं हुआ जितना बीजेपी दावा करती है। इस बीच आम आदमी पार्टी की एंट्री से भी चुनाव में असर देखने को मिल सकता है। काँग्रेस के मौजूदा घटनाक्रम से भी बीजेपी लाभ पहुंचने की उम्मीद कम है। स्वतंत्र पत्रकार मनोज कुमार श्रीवास्तव ने देहरादून से बताया कि बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर रही है। उत्तराखंड में बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त विरोध है।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश पर देश और दुनिया की टिकी निगाहें क्या बीजेपी की हालत
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी केंद्रीय और राज्य नेतृत्व पूरी कोशिश मे है कि बीजेपी सरकार की वापसी हो जाए लेकिन नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वतंत्र पत्रकारो से बातचीत के आधार पर प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार समाजवादी पार्टी बराबर बढ़त हासिल करती जा रही है। इसके मुख्य कारण है कि योगी सरकार के पिछले पांच सालों में बीजेपी संगठन और स्थानीय स्तर पर गुटबाजी, बाहरी नेताओ को बीजेपी मे शामिल करने पुराने बीजेपी नेताओ ने रोष, जिन स्थानीय नेताओ को सरकार बनने के बाद काम दिए जाने का वादा किया गया था उनको दरकिनार कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश में विकास के क्षेत्र में नहीं हुआ काम
उत्तर प्रदेश में नोएडा को छोड़ दे पूरे प्रदेश में सड़के अभी भी वैसी ही है जैसी सपा सरकार जाने के बाद थी। सड़के गढढ्ढा मुक्त करने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। लखनऊ राजधानी में सपा सरकार द्वारा छोड़े गए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को ही पूरा करने मे पांच साल बिता दिए गए कोई नया प्रोजेक्ट नहीं लाया गया। इस बीच ज्यादातर हाई वे प्रोजेक्ट अखिलेश सरकार की देन थे जिसमें योगी सरकार ने वाह वाही और उसका लाभ लेने का कार्य किया। जहां सपा सरकार ने लखनऊ में आई टी सिटी की स्थापना की थी और लाखो नौजवानों को रोजगार मिला था। वही योगी सरकार एक भी आईटी कंपनियों को लखनऊ में स्थापित नहीं कर पायी। जिससे एक मात्र HCL Technologies कंपनी अपनी मन मर्जी से नौजवानों को लूटने का कार्य कर रही है। इसी तरह खेल के क्षेत्र में अखिलेश यादव ने देश के सबसे खूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम की स्थापना की थी। लेकिन योगी सरकार ने खेल के क्षेत्र में कोई ठोस कार्य नहीं किया।
पंजाब मे बीजेपी को मिला नया साथी
पंजाब में एक सुनियोजित योजना के अनुसार काँग्रेस मे फुट डाल कर कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने पाले में किया क्योंकि अगर कैप्टन बीजेपी जॉइन करते तो उतना फायदा नहीं होता जितना बीजेपी के साथ नयी पार्टी बनाकर बीजेपी और कैप्टन को फायदा मिलेगा। बीजेपी के यहां कुछ खोने को नहीं है इसलिए अगर उसको कैप्टन के साथ गठबंधन करके सरकार मे शामिल होने का मौका मिलता है तो बीजेपी के लिए फायदा का सौदा होगा।