लखनऊ : अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर ताबड़ तोड़ जहां रैली कर रहे हैं वही जनता के बीच इस बात की चर्चा है कि अखिर क्या है कनेक्शन है कि समाजवादी पार्टी के लोग जीत का दावा कर रहे हैं। जानते हैं इस रिपोर्ट में
पुरानी पेंशन बहाली ट्रम्प कार्ड साबित
जी हां पिछले कई सालों से युवा जो 2004 के बाद उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी में लगे उनको मासिक पेंशन नहीं मिलेगी। जिसको लेकर सालो से पुरानी पेंशन बहाली की मांग और आंदोलन होते रहे हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए समाजवादी पार्टी ने ऐसे मतदाता को अपनी तरह खींचने के लिए अपने घोषणापत्र में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा की। जिससे बीजेपी का वोट बैंक माने जाने वाले पढ़े लिखे वर्ग का सपा की तरफ झुकाव दिखता नज़र आता है। अभी तक पड़े वोट से इस बात की पुष्टि होती है।
संविदा कर्मियों का सपा के पक्ष में होना
सबसे बड़ा वर्ग है सरकारी विभागों में ठेके पर कार्य करते संविदा कर्मचारियों का अखिलेश यादव ने इनकी समस्याओं को भी घोषणा पत्र में शामिल किया और प्रदेश मे ठेकेदारी प्रथा समाप्त कर संविदा कर्मियों को समायोजित करने का वादा किया। ऐसे संविदा कर्मियों से बात करने पर हमारे संवाददाता नीरज शुक्ला ने उनसे पूछा कि क्या इन मुद्दों पर आप वोट करेगे तो ज्यादातर लोगों ने कहा कि ठेका प्रथा से जहां कर्मचारियों का शोषण होता है वही महीनों और कहीं ना कहीं सालो तक वेतन नहीं मिलता है। जिससे बीजेपी के खिलाफ ऐसे कर्मियों का गुस्सा सबसे ज्यादा है।
आवारा पशुओं का मुद्दा सबसे अहम
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में IBC Global News की टीम ने जब किसानो से बात की तो ज्यादातर किसानो और महिलाओं ने कहा कि जब से योगी सरकार प्रदेश में आयी है आवारा पशुओं की समस्या ज्यादा हो गयी है। गौशाल में होता भ्रष्टाचार और पशुओं की मौत पर किसानो ने अपनी समस्याओं को बताया उन्होंने कहा कि जिस वादे और इरादे के साथ बीजेपी सरकार प्रदेश में आयी थी। उस तरह का काम बीजेपी ने नहीं किया। स्थानीय विधायक और सांसद क्षेत्र में आते नहीं। जिससे हम लोगों की समस्या जश की तस है। किसानों का बीजेपी के खिलाफ गुस्सा दिखा।
बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा प्रदेश लेकिन धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश
प्रदेश में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बन कर बीजेपी के नेताओ की चिंता बनी हुई है। ऐसे सम्वेदन शील मुद्दे को धर्म की आड़ लेकर पूरे चुनाव से गायब करने की कोशिश बीजेपी कर रही है। वही अखिलेश यादव पूरे चुनाव रोजगार शिक्षा किसान जैसे मुद्दों पर बीजेपी को घेरने मे लगे हैं। युवाओ से बात के आधार पर पाया कि युवा पीढ़ी जो किसी पार्टी या संगठन से जुड़े नहीं वह कहीं ना बदलाव के मूड में दिखाई दिए।
समाज में धर्म के आधार पर युवा पीढ़ी में जहर घोलने की कोशिश
बीजेपी के पास आज के इस चुनाव परिदृश्य में कोई ठोस मुद्दा नहीं है इसलिए वह युवा पीढ़ी को हिन्दू मुस्लिम पाकिस्तान जिन्ना हिजाब जैसे मुद्दो पर बांटने का प्रयास कर रही है। लेकिन इस पहल को कहीं ना धक्का लगता दिख रहा है। 2017 जैसी लहर अब बीजेपी के पक्ष में दिख नहीं रही है। अगर आप टीवी न्यूज चैनल को बंद कर दे और प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी बना ले तो आप पायेगे की बीजेपी कहीं ना जमीनी स्तर पर संघर्ष कर रही है।
ये रिपोर्ट जनता की आम राय पर आधारित है।