मुंबई : जाने-माने कवि, गीतकार और पटकथा लेखक प्रसून जोशी ने कहा है कि फिल्म बनाना ‘हिम्मतवाला’ का काम नहीं होना चाहिए, बल्कि किसी ऐसे व्यक्ति का काम होना चाहिए जिसमें प्रतिभा हो।
17वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ 2022) की एक मास्टर क्लास में बोलते हुए, श्री जोशी ने कहा, “हम विविधता के बारे में बात करते हैं, लेकिन विविधता कैसे आएगी जब तक कि फिल्म निर्माण का लोकतंत्रीकरण नहीं होता। यदि चुनिंदा लोगों का ही चुना हुआ झुंड फिल्में बनाता रहा, तो हमें समान सीधी कथाओं वाली फिल्में ही मिलती रहेंगी।” उन्होंने कहा कि हमें असली फिल्में तभी मिलेंगी जब विविध पृष्ठभूमि से आने वाले लोग फिल्में बनाना शुरू करेंगे
श्री जोशी ने कहा, “परम सत्य को समझना बहुत कठिन है, जिसे अलग-अलग लोग अलग-अलग तरह से समझते हैं। हर किसी के पास एक अद्वितीय और प्रामाणिक दृष्टिकोण होता है। “आप हर जगह नहीं हो सकते हैं, इसलिए आपको अपने वास्तविक नजरिए से विषय को देखना चाहिए। इससे कहानी दिलचस्प और आकर्षक बनेगी।”
लेखक ने ‘भाग मिल्खा भाग’ के निर्माण से जुड़ी एक दिलचस्प घटना सुनाई। जब वे फिल्म के लिए मिल्खा सिंह से जानकारिया ले रहे थे तब कई सवालों के जवाब के बाद उस धावक के कहा “आप केवल मेरे जीवन के बारे में पूछ रहे हैं, और खेल के बारे में कुछ नहीं?”
प्रसून जोशी एक प्रसिद्ध कवि, लेखक, गीतकार, पटकथा लेखक और संचार विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अपने काम से आलोचनात्मक और लोकप्रिय प्रशंसा दोनों हासिल की है।
ओगिल्वी एंड माथर और मैककैन एरिकसन सहित प्रमुख विज्ञापन एजेंसियों में अपने लंबे और विपुल करियर के माध्यम से, उन्होंने शक्तिशाली और व्यापक विज्ञापन अभियानों के माध्यम से कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए सफल ब्रांड बनाए हैं।
एक गीतकार के रूप में, ‘तारे ज़मीं पर’ (2007) और ‘चटगांव’ (2012) फिल्मों में जोशी ने सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया है।