आईबीसी ग्लोबल न्यूज नेटवर्क – एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने राज्य विशिष्ट कार्य योजना के कार्यान्वयन के लिए वैधानिक निर्देश जारी किए हैं। ये इस साल पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए किया गया है।
सीएक्यूएम ने कहा कि सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग डेटा के अनुसार, 24/10/2022 तक पंजाब में केवल 39 प्रतिशत बोया गया क्षेत्र ही काटा गया था और ऐसे में पराली जलाने की घटनाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। सीएक्यूएम के लिए इसरो द्वारा विकसित किए गए मानक प्रोटोकॉल के अनुसार, 15 सितंबर, 2022 से 26 अक्टूबर, 2022 की अवधि में पंजाब में धान की पराली जलाने की कुल घटनाएं 7,036 हुई हैं, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में ये घटनाएं 6,463 थीं।
सीएक्यूएम ने आगे कहा कि मौजूदा धान कटाई के मौसम के दौरान खेतों में पराली जलाने की लगभग 70 प्रतिशत घटनाएं तो सिर्फ अमृतसर, फिरोजपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, पटियाला और तरनतारन के छह जिलों से ही सामने आई हैं। पंजाब में कुल 7,036 ऐसी घटनाओं के मुकाबले सिर्फ इन जिलों में ही ये संख्या 4,899 रही है। पिछले साल इसी अवधि में पराली जलाने के जो कुल मामले सामने आए थे उनमें इन पारंपरिक छह हॉटस्पॉट जिलों का हिस्सा 65 प्रतिशत था। रिपोर्ट किए गए कुल 7,036 मामलों में से 4,315 पराली जलाने की घटनाएं तो सिर्फ पिछले छह दिनों के दौरान की है, यानी तकरीबन 61 फीसदी।
आयोग द्वारा विकसित एक व्यापक ढांचे और पिछले धान की कटाई के मौसम से मिली सीखों के आधार पर पंजाब राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई के निम्नलिखित प्रमुख स्तंभों के साथ एक व्यापक कार्य योजना तैयार की गई थी:
अन्य फसलों की ओर विविधीकरण, कम पुआल पैदा करने वाली और जल्दी पकने वाली धान की किस्मों की तरफ विविधीकरण;
बायो-डीकंपोजर के प्रयोग सहित यथास्थान फसल अवशेष प्रबंधन;
यथास्थान फसल अवशेष प्रबंधन;
आईईसी गतिविधियां;
निगरानी और प्रभावी प्रवर्तन।