दिल्ली 7 फरवरी :ईडब्ल्यूएस के बाद अब. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने मंगलवार को ये सवाल किया कि पिछड़ी जातियों में मौजूद संपन्न उप जातियों को आरक्षण की सूची से ‘बाहर’ क्यों नहीं किया जाना चाहिए और वो सामान्य वर्ग में प्रतिस्पर्धा करें.
एक राष्ट्रीय अंग्रेज़ी अख़बार ने सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर एक ख़ास रिपोर्ट प्रकाशित की है.
अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की पीठ में शामिल जस्टिस विक्रम नाथ ने पूछा था कि ‘इन्हें आरक्षण सूची से निकाला क्यों नहीं जाना चाहिए ?’
उन्होंने कहा, “इनमें से कुछ उप-जातियों ने बेहतर किया है और संपन्नता बढ़ी है. उन्हें आरक्षण से बाहर आना चाहिए और सामान्य वर्ग में प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए.”
बेंच में शामिल जस्टिस बीआर गवई ने कहा, “एक शख़्स जब आईएएस या आईपीएस बन जाता है तो उसके बच्चे गांव में रहने वाले उसके समूह की तरह असुविधा का सामना नहीं करते हैं. फिर भी उनके परिवार को पीढ़ियों तक आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा.”
उन्होंने कहा कि ये संसद को तय करना है कि ‘ताक़तवर और प्रभावी’ समूह को आरक्षण की सूची से बाहर करना चाहिए या नहीं.
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने ये संकेत दिया कि आरक्षण की अवधारणा में इसमें कुछ निकालना भी निहित हो सकता है.
उन्होंने मौखिक रूप से कहा कि पिछड़ी जातियों के लिए सीट आरक्षित करने के लिए निश्चित रूप से अगड़ी जातियों को बाहर किया गया था लेकिन ये संविधान की अनुमति से हुआ था क्योंकि राष्ट्र औपचारिक समानता नहीं बल्कि वास्तविक समानता में विश्वास रखता है.
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ इस सवाल का जवाब तलाश रही है कि क्या राज्य अनुसूचित जातियों (एससी) की श्रेणी में उप-जातियों की पहचान कर सकता है जो अधिक आरक्षण के लायक हैं…
– पोस्ट साभार…