भारतीय सेना ने 14 जून, 2023 को मानेकशॉ सेंटर में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) के तत्वावधान में “लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम भगत की विरासत- एक दूरदर्शी और रणनीतिक नेता” पर पहले “लेफ्टिनेंट जनरल पी एस भगत स्मृति व्याख्यान” का आयोजन किया है। भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे द्वारा 14 अक्टूबर, 2022 को यूएसआई में स्थापित “लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत मेमोरियल चेयर ऑफ एक्सीलेंस” के हिस्से के रूप में इस व्याख्यान को आयोजित किया गया था।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक (सेवानिवृत्त) ने व्याख्यान के दौरान एक मुख्य भाषण दिया, जिसमें उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल भगत के शुरुआती दिनों से लेकर दूसरे लेफ्टिनेंट के रूप में दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए उनके निधन तक की विरासत के कई किस्से सुनाए।
लेफ्टिनेंट जनरल भगत, जिनके व्यक्तित्व ने भारतीय सेना के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है, उनकी विरासत से प्रेरणा लेने के लिए सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, पूर्व प्रमुख जनरल वीएन शर्मा (सेवानिवृत्त) और जनरल एम एम नरवणे (सेवानिवृत्त) वरिष्ठ सैन्य कर्मियों तथा सेवारत अधिकारियों एवं नागरिकों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
सेना प्रमुख ने इस अवसर पर अपने संबोधन में उल्लेख किया कि लेफ्टिनेंट जनरल स्वर्गीय पीएस भगत एक उत्कृष्ट पेशेवर और एक सफल लेखक भी थे, उन्होंने पुनर्गठित उत्तरी कमान के पहले जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में कार्य किया था। सेना प्रमुख ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल भगत एक युवा और दूसरे लेफ्टिनेंट के रूप में पहले भारतीय सैनिक थे, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रतिष्ठित विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था। सेना प्रमुख ने बताया कि दुश्मन की गोलाबारी के बीच बारूदी सुरंगों को साफ करते समय उन्होंने अपने वाहन के साथ तीन बार सुरंगी विस्फोट का सामना किया। इसके अलावा वे एक ईयर ड्रम पंचर के बावजूद भी बिना रुके और थके 96 घंटे तक लगातार अपना काम करते रहे। सेना प्रमुख ने सितंबर 1971 में लखनऊ में आर्मी कमांडर के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल भगत से जुड़ी उस घटना का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने गोमती नदी में दरार के माध्यम से हो रहे प्रवाह को रोकने के लिए पत्थरों और शिलाखंडो से लदे ट्रकों को धक्का देकर लखनऊ शहर को बचाया था, जिसके लिए स्थानीय समाचार पत्रों ने उन्हें अगले दिन की सुर्खियों में “लखनऊ के रक्षक” के रूप में शीर्षक दिया था।
इस व्याख्यान का अगला संस्करण अप्रैल 2024 में आयोजित किया जाना निर्धारित है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनाइक (सेवानिवृत्त) ने मुख्य भाषण देने के लिए अपनी सहमति प्रदान कर दी है।
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