नयी दिल्ली 24 जून 2023 – वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने भारत से नागरिक उपयोग के लिए ड्रोन/मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के निर्यात की नीति को सरल और उदार बना दिया है। यह निर्णय भारत की विदेश व्यापार नीति-2023 के अनुरूप है जिसमें हाई-टेक वस्तुओं के निर्यात को सुगम बनाने पर ज़ोर दिया गया है। इसमें अप्रसार पर भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को ध्यान में रखते हुए नागरिक उपयोग के लिए भारत में निर्मित ड्रोन/यूएवी के निर्यात को बढ़ावा देना शामिल है।
सभी प्रकार के ड्रोन/यूएवी को पहले आयात और निर्यात वस्तुओं के आईटीसीएचएस वर्गीकरण की अनुसूची 2 के परिशिष्ट 3 के तहत स्कोमेट (विशेष रसायन जीव सामग्री उपकरण और प्रौद्योगिकी) सूची की श्रेणी 5बी के तहत निर्यात के लिए नियंत्रित/प्रतिबंधित किया गया था। यह सूची उन वस्तुओं की श्रेणी से जुड़ी है जो अपने संभावित दोहरे उपयोग की प्रकृति के कारण विशिष्ट नियमों के अधीन हैं। मतलब ये कि उनका नागरिक और सैन्य दोनों तरह का इस्तेमाल हो सकता है। ऐसी वस्तुओं के निर्यात के लिए स्कोमेट लाइसेंस की आवश्यकता होती थी और इस उद्योग को सीमित क्षमता वाले ड्रोन्स का निर्यात करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था, जो केवल नागरिक उपयोग के लिए थे।
इस नीति पर आम जनता/संबंधित उद्योग की टिप्पणियां आमंत्रित करने के साथ-साथ, सभी हितधारकों के साथ किए गए व्यापक परामर्श के आधार पर, नागरिक उपयोग के लिए ड्रोन्स/यूएवी वाहनों की स्कोमेट नीति को डीजीएफटी अधिसूचना संख्या-14, दिनांक 23.06.2023 के माध्यम से संशोधित किया गया है ताकि ड्रोन/यूएवी की इस नीति को उदार और सरल बनाया जा सके। ड्रोन/यूएवी अब ‘ड्रोन निर्यात के लिए सामान्य प्राधिकार’ (जीएईडी) के अधीन होंगे, जो कि 3 साल के लिए वैध एक बार का सामान्य लाइसेंस है। इसमें वो ड्रोन/यूएवी शामिल होंगे जो स्कोमेट सूची में निर्दिष्ट श्रेणियों के अंतर्गत शामिल नहीं हैं और 25 किमी या उससे कम दूरी तक मार करने में सक्षम हैं और जो 25 किलोग्राम (इन वस्तुओं के सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी को अलावा) से अधिक का पेलोड नहीं ले जा सकते हैं और जो केवल नागरिक उपयोग के लिए हैं।