लखनऊ : प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरकारी हॉस्पिटल में अगर किसी जन्में बच्चे को एनआईसीयू की जरूरत पड़ जाएगी तो, KGMU, RML मदर एंड चाइल्ड जैसे हॉस्पिटल में भर्ती नहीं हो सकता है। क्योंकि उनका कहना है हमारे यहां बेड नहीं है। शुक्रवार रात 11 बजे अयोध्या से रेफर होकर एक दिन का जन्मा बच्चा लखनऊ आता है। गरीब इन्सान के पास इतने रुपए नहीं कि वो प्राईवेट हॉस्पिटल में भर्ती करा सके।
केजीएमयू गए तो डॉक्टर ने देखा और कहा बेड नहीं आप ले जाइए, RML मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल लेकर गए तो बोला गया छह एनआईसीयू बेड है, जिसमें से एक खराब है, पांच फूल है जगह नहीं है, ले जाइए। अब इन्सान कहा लेकर घूमे और इलाज कराए। ये है उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों की सच्चाई।
ऐसा तब भी होता जब मंत्री, ब्यूरोक्रेसी के घर के बच्चे को भर्ती होना होता तो…गरीब इंसान को इलाज मिलेगा यह उसकी किस्मत पर निर्भर करती है।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरकारी हॉस्पिटल में अगर किसी जन्में बच्चे को एनआईसीयू की जरूरत पड़ जाएगी तो, KGMU, RML मदर एंड चाइल्ड जैसे हॉस्पिटल में भर्ती नहीं हो सकता है। क्योंकि उनका कहना है हमारे यहां बेड नहीं है। शुक्रवार रात 11 बजे अयोध्या से रेफर होकर एक दिन का जन्मा बच्चा…
— आदित्य तिवारी / Aditya Tiwari (@aditytiwarilive) November 3, 2023
यह लेख वरिष्ठ पत्रकार आदित्य तिवारी के ट्विटर (x) पोस्ट से लिया गया है