राजधानी लखनऊ में जाम के तीन कारण है, सबसे पहला ई-रिक्शा दूसरा स्ट्रीट वेंडर, तीसरा रोडवेज बस कारण है: ज्वाइंट सीपी उपेंद्र अग्रवाल

लखनऊ लखनपुरी : उन्होंने कहा कि ई-रिक्शा में परमिट व्यवस्था से अलग है, ई-रिक्शा कई बार नाबालिक चलाते है। कई बार अपराधी भी चलाते है जिससे घटना हो सकती है। हम ई-रिक्शा मालिक व चालको का व्योरा रखेगे, ई-रिक्शा के लिए 1 फॉर्म दिया जाएगा। फॉर्म निशुल्क दिया जाएगा 31 जनवरी लास्ट डेट होगी। जिसमे ई रिक्शा की डिटेल मालिक चालक का आधार जमा करना होगा। यह फॉर्म किसी भी थाने में जमा किया जा सकता है।

जिसकी एक स्लिप वह ई-रिक्शा पर चिपकाना होगा।फॉर्म आने के बाद ऑनलाइन उसका डेटा अपलोड किया जाएगा। एसीपी क्षेत्र में 16 ज़ोन में बांटा गया है। जहां ई-रिक्शा अपने रुट पर ही चलेगा। ई-रिक्शा सिर्फ 3 थाना क्षेत्र में होगा चलाना। जिस थाना क्षेत्र आवंटित होगा उससे बाहर ई रिक्शा चलाने पर होगी कार्यवाई होगी। हर डीसीपी ज़ोन एसीपी क्षेत्र का स्टिकर का रंग बनाया जाएगा। जो ई-रिक्शा पर चिपकाया जाएगा। जिससे पता चल सके ई रिक्शा किस क्षेत्र का है, वर्तमान समय मे 48 हजार के करीब ई रिक्शा है। ई-रिक्शा से जुड़ा हम डेटा बेस बनाएगे, अभी ई-रिक्शा पूरे शहर में घूम रहे है। 31 जनवरी के बाद ऐसा नही हो पायेगा।

जब ई रिक्शा का चालक बदलेगा उसकी जानकारी 3 दिनों के अंदर डीसीपी यातायात को देनी होगी। ई- रिक्शा का डेटा लखनऊ पुलिस की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा। 1000 फॉर्म आरटीओ को भेजा जाएगा। जिससे नया रिक्शा लेते समय जानकारी उपलब्ध कराना पड़ेगा। पुराने ई रिक्शा का फॉर्म पुलिस द्वारा बांटकर भराया जाएगा। फॉर्म में आरसी डीएल आधार कार्ड आपराधिक रेकॉर्ड भरना होगा।

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Author: ibcglobalnews

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